फाइल फोटो
नोएडा। शहर की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चुनाव भले ही संपन्न हो गए हो लेकिन इसमें अंतरकलह और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर जीतने वाले उम्मीदवारों पर हारने वाले प्रत्याशी ताना कस रहे है। इसके साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक गुट इस चुनाव को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में लग गए हैं।
बता दे नोएडा की तकरीबन 100 से अधिक सेक्टर का प्रतिनिधित्व फोनरवा करती है। इस संस्था का गठन 2001 मे प्राधिकरण के एक सीईओ ने कराया था। इस बार फोनरवा के चुनाव सोसायटी ऑफ रजिस्ट्रार के निर्देश पर जिला प्रशासन की निगरानी में कराया गया है। चुनाव में 43 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था। रविवार को हुए इस चुनाव का चुनाव अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह थे। ये गौतमबुद्धनगर के समाज कल्याण अधिकारी भी है। ये विभाग पिछले दिनों फर्जी तरीके से निजी कॉलेजों के छात्रों को करोड़ों रुपए वजीफा बांटने के लिए सुर्खियों में रहा है।
इसी विभाग के अधिकारी के देखरेख में संपन्न हुए चुनाव में फोनरवा के धनाडय अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा का पूरा पैनल प्रचंड बहुमत के साथ विजई हुआ है। योगेंद्र शर्मा ने जिस पैनल को हराया है वे अपनी हार को लेकर कुलबुला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस पैनल के कई सदस्यों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को लेकर मंथन तेज कर दिया है। इसके लिए जिम्मी वालिया को वोटर लिस्ट से हटाने को आधार बनाया जा सकता है। जिम्मी वालिया एक सेक्टर की पदाधिकारी थी। वो चुनाव में उम्मीदवार होना चाहती थी। इनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया है। जिम्मी ने चुनाव से पहले अपना दावा जिलाधिकारी के सामने भी पेश किया था लेकिन राहत नहीं मिली। वही एक सेक्टर में प्राधिकरण ने जमीन एक्वायर नही की है। सलारपुर के पास उस सेक्टर में सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनी कालोनी में आरडब्ल्यूए बनाकर फोनरवा की सदस्यता दे दी गई है। इन सभी मुद्दो को लेकर इन दिनों विपक्षी चितन मंथन मनन कर रहे हैं जबकि योगेंद्र शर्मा और चुनाव में जीते पदाधिकारी जीत का जश्न मना रहे हैं।
देखना दिलचस्प होगा आने वाले दिनों में ऊंट किस करवट बैठेगा। लेकिन फिलहाल तो चुनाव में जीत का सेहरा योगेंद्र शर्मा के सिर पर बंधा है।
