आपको ध्यान होगा जब वैक्सीन लांच हुआ था तो ये बताया गया था कि बूस्टर डोज लगने के बाद ही यह पूरी तरह से प्रभावी होगा। अतः हम सबने एक नियत समय के बाद बूस्टर डोज लगवाया। बूस्टर डोज इसलिए कि उस नियत समय के बाद वैक्सीन निष्क्रिय हो जाना था। उस थ्योरी के हिसाब से अब तो वैक्सीन का असर बचा ही नहीं होगा।
ये वैक्सीन लगने का प्रभाव था या प्रकृति का हिलिंग टच हम सब कोविड के विभिषिका से बचकर निकल तो आए ही हैं। हमें वैक्सीन या वैज्ञानिकों का नहीं तो कम से अपने इष्ट को इसका धन्यवाद देना चाहिए।
कोविड के पहले दौर के शुरुआती चरण में यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि भारत जैसे देश में संसाधन के अभाव में करोड़ों जाने जाएंगी। जहां एक भवन में सौ से अधिक सदस्य रहते हों (मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का तो क्या ही कहना) वहां छः फीट की दूरी बनाना भी किसी जंजाल से कम नहीं था। ये कयास कोविड के दिशानिर्देश के हिसाब से अतिशयोक्ति भी नहीं था। इस अनचाहे मेहमान (रोग) के हिसाब से जो संसाधन हमारे पास था उस हिसाब से हम शुन्य के करीब ही तो थे।
हो सकता है वैक्सीन का असर ना हो और हम 33 कोटी देवताओं या पीर बाबा या अलमाइटी गॉड के प्रताप से बच गए हों। लेकिन बचे तो हैं। खुश होना है कि हम सदी के एक भीषणतम विभिषिका, जिसने अमेरिका जैसे विकसित देश को भी घुटनों पर ला दिया, उससे सुरक्षित निकल आए हैं।
रही बात एस्ट्राजेनिका के खुलासे की, तो इसमें कोई नई बात तो है नहीं। हम सब को पता है कि एलोपैथिक दवाओं का साईड इफेक्ट होता है, कोविशिल्ड का भी है। हम इन दवाओं का सेवन ही इसलिए करते हैं कि इनका प्रभाव इनके दुष्प्रभाव पर भारी पड़ता है।
अगर इसके दुष्प्रभाव के वजह से हम परेशान हो गए तो फिर उन सबको जरूर परेशान होना चाहिए जो पैरासिटामोल जैसे सुरक्षित दवा का सेवन यदा-कदा करते रहते हैं। क्योंकि उपलब्ध जानकारी के अनुसार पेरासिटामोल के लंबे समय तक उपयोग के कारण निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं:
° थकान
° सांस फूलना
° उंगलियां और होंठ का नीला पड़ना
° एनीमिया
° जिगर और गुर्दे की क्षति
° यदि आपको उच्च रक्तचाप है तो हृदय रोग और स्ट्रोक भी हो सकता है।
हम एक कठीन समय से बाहर आ गए हैं। कुछ लोगों के इस कुत्सित प्रयास से समाज को भय के माहौल में ले जाने से रोकने का प्रयास हमारे मीडिया के साथियों को करना है। निश्चय आपको करना है कि आप समाज को भयाक्रांत करते हैं या अपने ज्ञान से आलोकित।
सप्रेम
*राजन कुमार पाण्डेय*
वरिष्ठ प्रबंधक
बैंक ऑफ इंडिया