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दस साल बाद झूठे मामले में आरोपी बरी

नोएडाl एक व्यक्ति ने उधार दिए हुए पैसे मांगे तो पड़ोसी महिला ने उस पर झूठा कर दिया। ये मामला अत्याधुनिक शहर नोएडा का है। इस मामले में निचली अदालत में आरोपी को दोषी मानते हुए 6 महीने के कारावास की सजा दे दी लेकिन ऊपरी अदालत ने इस मामले को झूठा करार देते हुए आरोपी को बरी करने के आदेश दिए हैं।
यह मामला 2014 का है। मिली जानकारी के मुताबिक निहाल शर्मा पुत्र स्वर्गीय विश्वदेव शर्मा नोएडा के पॉश सेक्टर 26 के बी 259 में परिवार के साथ रहते हैं।उन्होंने इसी सेक्टर के बी 304 में रहने वाले राजेश आनंद को 23 दिसंबर 2005 को 1245 पाउंड लगभग 125000 इंग्लैंड से उनके खाते में भेजे थे। कुछ दिनों बाद जब निहाल शर्मा ने अपने पैसे मांगे तो राजेश आनंद ने पैसे देने से इनकार कर दिया। निहाल शर्मा अपने पैसों के लिए तकादा ना करें इसलिए राजेश आनंद ने अपनी भाभी भावना आनंद के साथ मिलकर एक षड्यंत्र रचा।1 सितंबर 2014 को छेड़छाड़ मारपीट और अभद्रता के साथ ही पासको एक्ट में थाना सेक्टर 20 में मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मामले में भावना आनंद ने अपनी दो बेटियों को गवाह बनाया। कानूनी लड़ाई के बाद अदालत में निहाल शर्मा को दोषी माना और 6 महीने करवा की सजा सुना दी।साथ ही ₹5000 का अर्थ दंड भी निहाल शर्मा पर लगाया।
निहाल शर्मा ने अपने आप को दोष मुक्त करने के लिए कानून लड़ाई जारी रखी। उन्होंने ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया। जिसमें लंबी कानूनी सुनवाई के बाद जस्टिस चंद्र मोहन श्रीवास्तव की अदालत में निहाल शर्मा को निर्दोष करार दिया है। इस मामले में अदालत ने भावना आनंद के तथ्यों के साथ उसकी बेटी की गवाही को भी झूठ माना है। इस निर्णय को देते हुए अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कुना बनाम उड़ीसा के एक मसले का हवाला दिया है। निहाल शर्मा ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त किया है। हालाकि उनका कहना है कि इस दस साल के दौरान उन्होंने जितनी मानसिक यातना झेली है उसको सब्दो में व्यक्त नही किया जा सकता है। इस तरह के मामलो को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए।