नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत के प्रमुख सम्मेलन, रायसीना डायलॉग 2025 में हिस्सा ले रहे विभिन्न देशों के कई उच्च-स्तरीय नेताओं और अधिकारियों के साथ चर्चा की। भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत, डॉ. जयशंकर ने भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील से मुलाकात की।
विदेश मंत्री ने परमाणु सुरक्षा और अप्रसार पर ध्यान केंद्रित करते हुए आईएईए के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी के साथ भी बातचीत की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लातविया के विदेश मंत्री बैबा ब्रेज़ से मुलाकात की और यूक्रेन पर उनकी अंतर्दृष्टि के लिए प्रशंसा व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी की।
एक अलग बैठक में डॉ. जयशंकर और एंटीगुआ एवं बारबुडा के विदेश मंत्री चेत ग्रीन ने स्वास्थ्य, खेल और शिक्षा में सहयोग के अवसरों पर बातचीत की। इससे पहले दिन में उन्होंने यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री सिबिहा से मुलाकात की, जिस दौरान उन्होंने शांति वार्ता पर उनके दृष्टिकोण को स्वीकार किया और मुंबई में यूक्रेन के नए महावाणिज्य दूतावास की स्थापना का स्वागत किया।
क्षेत्रीय सहयोग पर भी चर्चा जारी रही और जयशंकर ने थाईलैंड के विदेश मंत्री मैरिस सांगियाम्पोंगसा से मुलाकात की, जहां उन्होंने बिम्सटेक, डिजिटल सहयोग और खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श किया। विदेश मंत्री ने पेरू के अपने समकक्ष एल्मर शियालर साल्सेडो के साथ भी बातचीत की, जिसमें द्विपक्षीय समझौतों को मजबूत करने और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सतत विकास के लिए ‘हरित भविष्य’ की ओर: पर्यावरण सहयोग के लिए भारत की जलवायु पहल” शीर्षक से एक सत्र का नेतृत्व किया। भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और हरित भविष्य के लिए एक स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे बढ़ रहा है। हमने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं और 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)