नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025: साहस, धैर्य और आत्मविश्वास की भावना को एक शक्तिशाली श्रद्धांजलि देते हुए, भारतीय स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) — जो रीढ़ की देखभाल और पुनर्वास में अपनी उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है — ने अपने कर्मचारियों की पहली अनोखी एवरेस्ट बेस कैंप यात्रा का सफलतापूर्वक प्रस्थान कराया। यह अभियान दशहरा से एक दिन पहले शुरू हुआ, जो बुराई पर अच्छाई और भय पर आंतरिक शक्ति की जीत का प्रतीक है। यह यात्रा व्यक्तियों को सीमाओं से ऊपर उठाने की दृष्टि में निहित है और आईएसआईसी के उस मिशन को दर्शाती है जिसमें वह अपने लोगों में आंतरिक शक्ति, टीमवर्क और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है। पद्मश्री मेजर एच.पी.एस. अहलूवालिया, जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीयों में से एक थे, की विरासत से प्रेरित यह अभियान केवल एक रोमांचक यात्रा नहीं है — बल्कि आईएसआईसी की उस सोच का जीवंत प्रतीक है कि हर व्यक्ति में अपना पर्वत चढ़ने की क्षमता होती है।
पाँच कर्मचारियों की टीम — जिसमें डॉक्टर (2), नर्स (2) और एक जनरल ड्यूटी सहायक शामिल हैं — अभियान में भाग ले रही है
पाँच कर्मचारियों की यह टीम विभिन्न विभागों से चुनी गई है, जिनमें डॉक्टर (2): डॉ. अंकुर नंदा और डॉ. निखिल गुलियानी; नर्सिंग स्टाफ (2): अमरजीत कौर और दीपु विजय; तथा जनरल ड्यूटी सहायक (1): धीरज शामिल हैं। चयन प्रक्रिया बेहद कठोर और अनोखी रही, जिसमें शारीरिक क्षमता से अधिक भावनात्मक धैर्य, सहयोगी भावना और मानसिक दृढ़ता को महत्व दिया गया। इसमें शारीरिक परीक्षाओं की शृंखला, व्यक्तिगत निबंध और सामूहिक समस्या समाधान अभ्यास शामिल थे, ताकि उन लोगों को चुना जा सके जो सचमुच “एवरेस्ट स्पिरिट” यानी साहस, धैर्य और विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाने की इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं। अभियान से पहले प्रतिभागियों ने 60 दिनों का विस्तृत प्रशिक्षण लिया, जिसमें फिटनेस तैयारी, मानसिक परिष्कार, नेतृत्व कार्यशालाएँ और टीम निर्माण सत्र शामिल रहे।
अभियान 1 अक्टूबर से शुरू होकर 10 अक्टूबर तक एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुँचेगा और 16 अक्टूबर तक वापसी होगी
इस पहल पर भारतीय स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर की चेयरपर्सन सुश्री भोली अहलूवालिया ने कहा: “यह अभियान सिर्फ एक ट्रैक नहीं है — यह मेजर अहलूवालिया की साहस और धैर्य की विरासत को नमन है और उनके उस विश्वास का प्रतीक है कि सच्ची ताकत शरीर में नहीं, बल्कि मन में जन्म लेती है। इस यात्रा के माध्यम से हम अपने लोगों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि हर चुनौती, चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, धैर्य, टीमवर्क और आत्मविश्वास से पार की जा सकती है। आईएसआईसी में हम इसे अपने कर्मचारियों में ‘एवरेस्ट स्पिरिट’ को विकसित करने का अवसर मानते हैं — जिससे वे खुद आगे बढ़ें, दूसरों को प्रेरित करें और हमारे संस्थापक के उस विजन को आगे ले जाएँ जो सीमाओं को संभावनाओं में बदलने पर आधारित है।”
आईएसआईसी का यह प्रयास पद्मश्री मेजर एच.पी.एस. अहलूवालिया से प्रेरित साहस और धैर्य की विरासत को आगे ले जाने के मिशन का हिस्सा
यह पहल ऐसे समय में की गई है जब मानसिक स्वास्थ्य और धैर्य संगठनात्मक विकास के केंद्र में हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जब संगठन व्यक्तिगत विकास में निवेश करते हैं तो कर्मचारी अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं, और इस तरह के अनुभवात्मक कार्यक्रम प्रेरणा, टीमवर्क और नेतृत्व को मजबूत करते हैं। आईएसआईसी, जिसका मिशन हमेशा से लोगों को शारीरिक और भावनात्मक सीमाओं से ऊपर उठने में मदद करना रहा है, के लिए यह अभियान अपनी समुदाय को सशक्त बनाने और मेजर अहलूवालिया की एवरेस्ट भावना को जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।