
ग्रेटर नोएडा l भ्रष्टाचार का तंत्र चाहे कितना भी मजबूत हो एक बात साफ है कि वह एक न एक दिन बेनकाब जरूर होता है l हिंडन और यमुना के बीच दोआब के क्षेत्र में बसे नोएडा ग्रेटर नोएडा शहर की जमीन आज सोने के भाव हो गई है l 40 बरस पहले यह इलाका अति पिछड़े क्षेत्र की श्रेणी में दर्ज था l इस शहर को बसाने के लिए अनेक जतन किए गए हैं l
कांग्रेस के धुरंधर नेता रहे संजय गांधी ने इस शहर की परिकल्पना की थी l दिल्ली के ओखला से कुछ मुट्ठी भर औद्योगिक इकाइयों को इस क्षेत्र में स्थापित किया जाना था लेकिन वक्त का पहिया चलता गया और नोएडा ओर ग्रेटर नोएडा शहर बस्ते चलेे गएl आज विश्व के मानचित्र पर ये महानगर उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की आर्थिक राजधानी के तौर पर विकसित होने की ओर अग्रसर है l कांग्रेस के शासनकाल में इस शहर की नींव रखी गई l विश्लेशको की निगााह में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का आर्थिक विकास इसी शहर पर टिका हुआ है l
मुलायम सिंह और मायावती ने यहां ठप्पा कहे जाने वाले अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारियां दी l उन्होंने यहां भ्रष्टाचार की नई इबादत लिखने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी l सेटिंग गेटिंग के दम पर बाहरी लोगों ने यहां के किसानों की जमीनों को खरीदा l और वे पुस्तैनी किसानों का लाभ लेने लगे l
उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ योगी आदित्यनाथ की सरकार आई l इस शहर का विकास और तीव्र गति से आगे बढ़ा l देखते ही देखते प्रशासनिक अधिकारियों की अंदरूनी राजनीति सतह पर आई l अब एक-एक कर घोटालो की नई परते खुल रही हैं l
कामरेड कर्मवीर प्रमुख मूल रूप से मिलक लच्छी गांव के निवासी हैं l इस क्षेत्र के जागरूक जिम्मेदार नागरिक हैं l उत्तर प्रदेश की एसआईटी द्वारा सेटिंग गेटिंग के दम पर जो लीज बैक हुइ है? उन्होंने इसे लेकर एक शानदार लेख लिखा हैl वह लेख हम हू ब हू प्रकाशित कर रहे हैं l
एसआईटी द्वारा गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करना न्यायोचित और स्वागत योग्य।
एसआईटी के चैयरमैन डॉ अरुणवीर सिंह द्वारा की गई निष्पक्ष जांच स्वागत योग्य।
गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक निरस्त होने से पुश्तैनी किसानों को भूखंड आबंटन के लिए उपलब्ध हो सकेगी भूमि।
-कर्मवीर नागर प्रमुख
पुश्तैनी और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक जांच हेतु शासन द्वारा जनवरी 2019 में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 237 प्रकरणों की पात्रता निरस्त करने का आदेश भले ही देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। एसआईटी की यह जांच रिपोर्ट उन पुश्तैनी किसानों के लिए राहत भरी है जिनको अर्जित भूमि की एवज में आवंटित होने वाले भूखंडों के लिए जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। वास्तव में यह जांच रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए भी राहत भरी है जिन किसानों का हक देश के दूर दराज प्रदेशों में रहने वाले उन गैर पुश्तैनी काश्तकारों ने प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों से मिली भगत कर हड़प लिया था जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थे। इस भ्रष्टाचारी खेल में बहुत से अधिकारियों और दलालों के वारे न्यारे हो गए थे। उन भ्रष्टाचारी अधिकारियों का नकाब हटना चाहिए जिन्होंने किसानों का मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न किया है। इस भ्रष्टाचारी खेल में जहां पुश्तैनी काश्तकारों को आबादी भूमि भी नहीं छोड़ी गई थी वहीं देश के दूर दराज शहरों में रहने वाले आर्थिक रूप से समृद्ध गैर पुस्तैनी की श्रेणी में आने वाले काश्तकारों की बड़ी तादाद में भूमि लीज बैक की गई थी।
कर्मवीर नागर प्रमुख ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा पुश्तैनी किसानों को अर्जित भूमि की एवज में भूखंड आबंटन के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने का बहाना बताने की वजह से गैर पुश्तैनी काश्तकारों को गलत तरीके से की गई लीज बैक के संबंध में मैंने सन् 2018 में शिकायत की थी मेरे अतिरिक्त कुछ अन्य लोगों के द्वारा भी शिकायत की गई थी तदुपरांत इन शिकायतों का संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुश्तैनी और गैर पुस्तैनी काश्तकारों की लीजबैक जांच हेतु एसआईटी का गठन किया गया था। इस एसआईटी के चैयरमैन और यीडा के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने गैर पुश्तैनी और अपात्र काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करने का स्वागत योग्य निर्णय दिया। हालांकि उन अधिकारियों को एसआईटी की इस जांच रिपोर्ट से कष्ट होना भी स्वाभाविक है जो पुश्तैनी काश्तकारों के हितों के खिलाफ इस भ्रष्टाचारी खेल में शामिल रहे होंगे लेकिन यह रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए राहत भरी खबर है जिनको भूमि की अनुपलब्धता के कारण अर्जित भूमि की एवज में अभी तक भूखंड आबंटित नहीं हो सके हैं।
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