_-राजेश बैरागी-_
मैं आठ बरस बाद पर्यटन यात्रा पर कश्मीर में हूं। इस बीच कश्मीर के इतिहास में 5 अगस्त 2019 गुजर चुका है।2015 और अब 2023 में भी वही वादियां हैं,वही पर्वतों की चोटियों से नीचे तलहटी तक सिर उठाए देवदार के वृक्ष हैं, ठंडी खुशनुमा हवाएं भी हैं और डल झील का जलस्तर भी वही है।ये सब नहीं बदले तो सियासी हवाओं में ही बदलाव कैसे आ सकता है।लेह लद्दाख को अलग स्वायत्तशासी क्षेत्र घोषित करने और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य से अपूर्ण या केंद्र शासित प्रदेश बना देने से घाटी में भाजपा के लिए जन-समर्थन पैदा नहीं हुआ है। श्रीनगर हवाईअड्डे पर उतरने के बाद होटल पहुंचने तक टैक्सी ड्राइवर से बातचीत में यही प्रकट हुआ कि यहां का आम आदमी जो मुसलमान भी है,के लिए भाजपा दुश्मन नंबर-1 है। हालांकि जब मैंने उससे गुपकार रोड दिखाने के लिए कहा तो उसने उत्साह से कहा,-मैं आपको सब चोरों के घर दिखाऊंगा।’ सुधी पाठक जानते हैं कि श्रीनगर में गुपकार रोड पर फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कश्मीर की तमाम राजनीतिक हस्तियों के घर हैं।डल झील पर नौका विहार करते हुए मैंने देखा कि झील के किनारे असंख्य हाऊस बोटों पर पर्यटक ठहरे हुए हैं। झील में बनी दुकानों पर पर्यटक ग्राहकों की खूब आवाजाही है और बाहर सड़क पर होटलों से लेकर खान-पान की दुकानों पर अच्छा काम धंधा चल रहा है। सड़कों, पुलों, रेलवे लाइन के निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। स्थानीय पुलिस से अधिक सीआरपीएफ की सड़कों पर उपस्थिति है। स्थानीय लोग पुलिस,सेना और सीमा सुरक्षा बल की सघन उपस्थिति के अभ्यस्त हो चुके हैं परंतु उनके साथ उनकी सहानुभूति नहीं है। जारी…… लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।
