नोएडा पुलिस की नाकामी था निठारी कांड!

Rajkumar Chaudhary
नोएडा। तकरीबन 18 साल पहले हुआ निठारी नरसंहार कांड नोएडा पुलिस की घोर लापरवाही था। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। उनके चेहेते पुलिस अधिकारी नोएडा में कानून का डंडा चला रहे थे। सरकार की फजीहत को रोकने के लिए मुलायम सिंह के अनुज शिवपाल यादव निठारी आए थे।
मैं उस समय सीएनएन अखबार में रिपोर्टर था। दिल्ली की रहने वाली बड़ी पायल एक कॉल गर्ल थी। मूल रूप से पंजाब के रहने वाले मोहिंदर सिंह पंधेर एस्कॉर्ट जेसीबी कंपनी की एजेंसी के मालिक थे। नोएडा के सेक्वट 2 से उनका कारोबार संचालित होता था। वे उत्तर भारत के बड़े व्यापारी थे इसलिए उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ अधिक थी। बड़ी पायल मोहिंदर सिंह पढ़ेंर की डी 5 कोठी पर आया करती थी। इस कोठी में नोएडा पुलिस के कई दरोगाओ का आना जाना भी था।
सुरेंद्र कोली पायल पर बुरी निगाह रखता था। एक दिन अपनी हवस पूरी करने के लिए पढेर ने पायल को कोठी पर बुलाया लेकिन किसी निजी कार्य से वह आ नहीं सका। बस इसी मौके का फायदा सुरेंद्र ने उठाया और पायल का रेप करने के बाद उसका कत्ल कर दिया। पायल को तलाशते हुए एक बेसहारा बाप नोएडा पुलिस की चौखट पर सर पटकता रहा लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई। अंत में उसने अपनी बेटी की बरामदगी के लिए जिला कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश के बाद भी नोएडा पुलिस ने मुकदमा दर्ज नही किया। रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस ने एक रिपोर्ट लगाकर कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया। तत्कालीन एसओ ने कोर्ट में जवाब दिया और अपनी रिपोर्ट में पंढेर को एक रसूखदार व्यक्ति बताया। इसी रिपोर्ट में पायल और उसके पिता को ब्लैकमेलर करार दिया। इसी अपमान के घूंट को पीकर पायल के पिता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।कोर्ट के सख्त आदेश पर पायल की तलाश शुरू हुई। तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक नगर प्रथाम दिनेश यादव ने इस मामले की जांच शुरू कराई। उस समय जनपद गौतम बुध नगर के कप्तान हुआ करते थे। एसओजी की टीम ने कोली से पूछताछ की। इसी सख्ती के बाद मामले में नया मोड़ आया। रसूखदार पंढेर का नोकर सुरेंद्र कोली टूट गया। उसी की निशानदेही पर पायल का मोबाइल एक रिक्शा चालक से बरामद हुआ। जिसके आधार पर पुलिस ने सुरेंद्र कोहली को गिरफ्तार कर लिया।
कुछ बच्चे निठारी में पहले से भी गायब हो रहे थे। इसी एस ओ जी की टीम में एक ऐसा दरोगा भी शामिल था जो निठारी पुलिस चौकी पर चौकी इंचार्ज रहा था। उसे निठारी में बच्चों के लापता होने की जानकारी थी। लेकिन चौकी इंचार्ज रहते हुए उसने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस ने थर्ड डिग्री से पूछताछ की तो सुरेंद्र कोली ने इन बच्चों की हत्या करने की बात भी कबूली। मामले का मीडिया ट्रायल हुआ। अगले दिन सुबह मौके पर पुलिस से पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरे पहुंच चुके थे। निठारी के गंदे नाले और आसपास से निकलते हुए नर कंकाल पूरी दुनिया देख रही थी। पुलिस की एसओजी की टीम और पुलिस अधिकारियों की सुनने वाला कोई नहीं था। वे बेबस थे। आनन फानन में उत्तर प्रदेश पुलिस ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया।
सीबीआई जांच के बाद मामला यहां तक पहुंचा। सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों को फांसी की सजा दी। अब सबूतों के अभाव में हाई कोर्ट से दोनों फिलहाल बरी कर दिया। ये बरी हो गए हैं। खास बात यह है कि निठारी की चौकी इंचार्ज सिमरनजीत कौर सहित कई पुलिस कर्मियों पर इस मामले में कार्रवाई हुई थी।
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में पीड़ित पक्ष और सीबीआई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं या नहीं।